पंचतंत्र की कहानी: बिल्ली का न्याय – billi ka nyay
टॉफी बड़ा थी, रानी उठाने की कोशिश करती और गिर जाती। रानी ने हिम्मत नहीं हारी। वह दोनों हाथ और मुंह से टॉफी को मजबूती से पकड़ लेती है ।
मुकेश कोई छः – सात साल का होगा। उसे पेंटिंग करना और क्रिकेट खेलना बेहद पसंद है। खाली समय में वह क्रिकेट खेलता और पेंटिंग बनाया करता था।
पेंटिंग की कोई भी प्रतियोगिता स्कूल में होती, तो उसमें वह प्रथम स्थान प्राप्त करता। मुकेश की पेंटिंग की सराहना स्कूल में भी की जाती थी।
पंचतंत्र की कहानी: नकल करना बुरा है – nakal karna bura hai
चुड़ैल का फिसाद होगा, और क्या? यहाँ तो ओझा भी एक रुपया माँगता है!”
दुकान में चूहों ने भी अपना डेरा जमा लिया था। दुकान में एक से बढ़कर एक शरारती चूहे आ गए थे।
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। website वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।
उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।
टीले के ऊपर दर्शन के लिये हम सब रोज़ ही जाया करते थे। पढ़ें
“मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नहीं था! और फिर मुझसे लजाएगी कि नहीं?
उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।
एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।